श्री ब्राह्मणी माता मंदिर-ब्रह्माइन गांव

ब्रह्माइन उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के हनुमानगंज ब्लॉक का एक गाँव है। यह आजमगढ़ मंडल का है। यह जिला बलियाजीरा बस्ती से 8 कि.मी. दूर पर स्थित है, भरतपुर चौबे, धरहरा, श्रीपुर, छोहर पास के गाँव हैं और बलिया, रेओटी, रसड़ा, डुमरांव,  ब्रह्माइन के पास के शह हैं। यह बिहार राज्य सीमा के निकट है। ब्रह्माइन पिन कोड 277121  और डाक प्रधान कार्यालय गरवार है।

मां ब्राह्मणी मंदिर का इतिहास

हनुमानगंज (बलिया) जिला मुख्यालय से पांच कि.मी. उत्तर बलिया-सिकंदरपुर मुख्य मार्ग पर ब्रह्माइन गांव में स्थित मां ब्राह्मणी देवी का प्राचीन मंदिर श्रद्धालुओं के बीच आस्था का केंद्र बना हुआ है। मान्यता है कि सच्चे मन से जिस किसी ने कुछ मांगा, उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है। नवरात्र में ही नहीं बल्कि अन्य अवसरों पर भी दर्शन-पूजन को दूर-दराज से लोग यहां आते हैं। नौ दिनों तक माता के भव्य रूपों की पूजा के साथ ही यहां अष्टमी के दिन होने वाली निशा पूजन का कुछ अलग ही महत्व है।

गंगा व घाघरा के बीच बसे जनपद में प्राचीन समय से ही पौराणिक स्थानों की भरमार रही है। पुराणों में भी इस मंदिर का वर्णन मिलता है। पुराणों से ही मिलने वाली जानकारियों को मानें तो हनुमानगंज से सटे ब्रह्माईन गांव में स्थित इस मंदिर में यज्ञ में पधारे अपने माता-पिता को महर्षि भृगु ने ठहराया था।

बाणासुर का संहार करने हेतु माँ भगवती ने अवतार लिया था । बाणासुर शिव-पार्वती की कृपा से और श्रीकृष्ण से मिले जीवनदान के बाद और अधिक निरंकुश हो गया था। बाणासुर का वध शक्ति के ही अंश ‘कुँआरी देवी’ ने किया था, दक्षिण भारत में उन्हें कन्याकुमारी कहा जाता हैं और उत्तर भारत में सूर्यवंशियों की आराध्य देवी बायण माता कहलाती हैं।

दुर्गा सप्तशती व मारकंडेय पुराण में वर्णित है कि भवन के राजाओं से हार कर राजा सूरथ कुछ सैनिकों के साथ शिकार खेलने के बहाने निकल गए। आज जहां ब्रह्माइन गांव स्थित है कालांतर में वहां जंगल था, वे वहीं रुके और सैनिकों से पानी लाने को कहा। सैनिकों को कुछ दूर चलने पर एक सरोवर दिखाई दिया। वहां से पानी लाकर उन्होंने राजा को दिया। राजा युद्ध में घायल हो गए थे और शरीर के कई जगह से मवाद निकल रहा था। राजा ने जब उस पानी का स्पर्श किया तो उन का कटा व मवाद युक्त घाव ठीक हो गया। इस घटना से चकित हो राजा ने सैनिकों को उन्हे उस स्थान पर ले चलने को कहा जहां से वे जल लाए थे। वहां पहुंचने के बाद राजा ने उस सरोवर में छलांग लगा दी जिससे उनका पूरा शरीर पुनः पहले जैसा हो गया। राजा ने विचार किया कि निश्चय ही ये स्थान कोई पवित्र जगह है। सैनिकों को भेजकर राजा अकेले ही विचरण करने लगे वहीं पर उन्हें महर्षि मेधा का आश्रम दिखाई दिया। महर्षि से आज्ञा लेकर राजा उनके आश्रम में रहने लगे।

कुछ दिनों बाद वहां पर एक समाधि नाम का वैश्य आया जिसे उसके परिजनों ने धन के लोभ में घर से निकाल दिया था। राजा सूरथ व समाधि ने ऋषि मेधा से शांति पाने का उपाय पूछा। ऋषि ने आदि शक्ति की उपासना करने को कहा। वहीं पर राजा सूरथ व समाधि ने तीन वर्षों तक मां ब्रह्माणी की तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर मां ब्रह्माणी देवी अवतरित हुई दोनों को मनोवांछित फल देकर अभिलाषित किया। राजा सूरथ की तपोस्थली सुरहा के नाम से विख्यात हुई और उससे निकलने वाला एक मात्र नाला या झरना कटहल नाले (कष्टहर नाला)  के नाम से विख्यात हुआ। मनोकामना पूरी होने पर सूर्यवंशी राजा सुरथ ने माता वीरणी और ब्रह्माणी मंदिर का निर्माण करावाया।

पता:

श्री ब्राह्माणी माता मंदिर,
ब्रह्माइन, ता. हनुमानगंज,
जिला-बलिया, उत्तर प्रदेश 277121

  • ब्रह्माइन कैसे पहुंचे:
  • हवाई मार्ग :

बलिया से निकटतम हवाई अड्डा:

      • पटना हवाई अड्डा
      • वाराणसी हवाई अड्डा
  • रेल मार्ग:

रेल मार्ग से बलिया दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, लखनऊ, कानपुर, आगरा, वाराणसी और इलाहाबाद से जुड़ा हुआ हैं। दो दैनिक राजधानी एक्सप्रेस भी चलती हैं। ब्राह्माइन गाँव के पास के स्टेशन:

      • बलिया रेल स्टेशन
      • सागरपाली रेल स्टेशन
  • सड़क मार्ग:

• ब्रह्माइन गाँव 4 कि.मी.हनुमानगंज से।
• लखनऊ से 395 कि.मी.

वाराणसी-ब्रह्माइन गाँव: रसड़ा कासिमाबाद मार्ग से-NH 31से 4 घंटे 37 मिनट(166 कि.मी.)
वाराणसी रिंग रोड से- NH 31: 4h 53 मिनट (165 कि.मी.)
NH 24: 4 घंटे 22 मिनट (168.7 कि.मी.)

पटना- ब्रह्माइन गाँव :एन एच 31: 5 घंटे 20 मिनट (146.2 कि.मी.)
• NH 922: 4 घंटे 40 मिनट (131.6 कि.मी.)

ब्रह्माइन, हनुमानगंज में बस स्टॉप

      • टीकमपुर बस स्टॉप
        रूपनगर टीकमपुर; बलिया- 277001: 4.2 कि.मी.
      • बस स्टैंड
        बलिया फ्लाईओवर; बलिया- 277001: 5.1 कि.मी.
      • बडसरी चट्टी बस स्टॉप
        गढ़वार रतसर अकेल मार्ग; बडसरी; 277121: 14.7 कि.मी.

दार्शनिक स्थल:

ददरी मेला:

‘ददरी मेला’ भारत का दूसरा सबसे बड़ा पशु मेला है, जो बलिया से 5 किमी दूर एक ददरी  नामक शहर में प्रतिवर्ष होता है। मेला कार्तिक पूर्णिमा (अक्टूबर-नवंबर) पर गंगा नदी में पवित्र स्नान करने के साथ शुरू होता है। यह मेला प्रतिवर्ष महर्षि भृगु के शिष्य ददर मुनि के सम्मान में आयोजित किया जाता है।

एक महीने तक चलने वाले इस मेले का आयोजन दो चरणों में किया जाता है। पहला चरण कार्तिक पूर्णिमा की शुरुआत से दस दिन पहले शुरू होता है, जिसके दौरान व्यापारी व्यापार के लिए भारत भर से मवेशियों की कुछ उत्कृष्ट नस्लों को लाते हैं। और दूसरे चरण में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं और स्थानीय व्यापारी विभिन्न वस्तुओं को अपनी दुकानों में बेचते हैं।

सुरहा ताल

बलिया से लगभग सत्रह किलोमीटर दूर सुरहा ताल एक प्रसिद्ध अभयारण्य है। यहां साइबेरिया और अन्य ठंडे क्षेत्रों से कई प्रवासी पक्षी देखे जा सकते हैं। इनमें से अधिकांश प्रवासी पक्षी सर्दियों के महीनों में दिखाई देते हैं। अभयारण्य की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय सुबह का है जब  कई विभिन्न प्रजातियों को देखा जा सकता है।

मंदिर:

ये मंदिर स्थानीय लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं – भृगु मंदिर और बलिया बालेश्वर मंदिर जो अपनी बड़ी घंटियों के लिए प्रसिद्ध है।

संदर्भ:

      • Jagran.com
      • www.onefivenine.com
      • Photo: Rahul yadav

विड़ियो लिंक:

https://www.youtube.com/watch?v=xf2Is5iC0H0
https://www.youtube.com/watch?v=lkdCqRavzMI
https://www.youtube.com/watch?v=UiC6yZgp0R0
https://www.youtube.com/watch?v=sgfpbXDvHB4
https://www.youtube.com/watch?v=qzi4ufoQ6wk

अनुरोध:

यदि आपके पास ब्रह्माइन की ब्राह्मणी माता या किसी अन्य मंदिर से संबंधित कोई जानकारी या फोटोग्राफ हैं, तो कृपया हमारे साथ साझा करें। हम इस जानकारी को अपडेट करेंगे और क्रेडिट विधिवत आपको दिया जाएगा। इस साइट का उद्देश्य भारत के ब्राह्मणी माता के मंदिरों के बारे में सभी जानकारी एकत्र कर के एक जगह प्रस्तुत करना है। जिससे भारतीय और विदेशी भक्तों को एक जगह ही संपू्र्ण जानकारी प्राप्त हो सके।

Temple Location

Mata Ji Mandir Road, Pallu, Rajasthan
Pincode-335524.India

Pallu Devi© 2024. All Rights Reserved.