बाबा खेतरपालजी की आरती
ॐ जय खेतरपाल देवा, स्वामी जय खेतरपाल देवा।
छिन-छिन भोग लगाऊँ-2, मोदक और मेवा ।।ॐ जय।।
तुम करूणा के सागर, तुम अंतरयामी-2 ।स्वामी।
दुःखीयन के दुःखहारी-2, तुम सबके स्वामी ।।ॐ जय।।
कमल चरण मृत निर्मल, सब पातक हर्ता -2 ।स्वामी।
सकल मनोरथ दायक-2, कृपा करो भर्ता।।ॐ जय।।
तन मन धन अर्पण कर, जो जन शरण पड़े-2 ।स्वामी।
शरणागत प्रभु आकर-2, उनके द्वार खडें।।ॐ जय।।
दीन दयाल दयानिधी, भक्तन हितकारी -2 ।स्वामी।
पाप दोष सब हर्ता-2, भव बंधन हारी।।ॐ जय।।
सकल मनोरथ दायक, सब संशय हारी-2 ।स्वामी।
विषय विकार मिटाओ-2, संतन सुखकारी ।।ॐ जय।।
रावतसर में मंदिर थारो, शोभा अति भारी-2 ।स्वामी।
मन वांछित फल पावत-2, सेवत नर नारी ।।ॐ जय।।
रावतसर की विनती सुनकर, नींव लगी थारी-2 ।स्वामी।
नारायण सिंह भक्त-2, पूजा करें भारी।।ॐ जय।।
जो जन आरती तुम्हारी, प्रेम सहित गावें-2 ।स्वामी।
सफल मनोरथ होवे-2, निश्चय फल पावे।।ॐ जय।।
बोलो खेतरपाल भामलिये की जय, बोलो मालासी भामलिये की जय ।
बाबा खेतरपाल चालीसा
खेतरपाल संकट हरो, मंगल करो सब काम। शरण तुम्हारी आन पड़े, दर्श दिखाओ आन ।।
चालीसा तेरी गाउं मै, दयो ज्ञान भरपूर । क्षमा करो अपराध सब, संकट करो थे दूर।।
चौपाई
खेतरपाल तेरी महिमा न्यारी । रावतसर मे दर्शन भारी ।।
राधोदास पहला दर्शन पाया। जिस ने तेरा नाम बढाया ।।
रूद्र का अवतार धराया। खेतरपाल तुम नाम रखाया ।।
सबके संकट हरने वाला । भक्त जनो का है रखवाला ।।
भैरो रूप मे रचे सब लीला। शिव का गुण हम सब को दीना।।
मुखड़े तेरे सिंदूर विराजे। खड़ग त्रिशुल हाथो मे साजे।।
सिर पर जटा मुकुट विराजे। पांव मे कंगना घुंघरू बाजै।।
नैन कटोरे रूप विशाला। सब भक्तो का है रखवाला।।
मस्तक आपके तिलक सुहावे। जो दर्श करे वो अति सुख पावे ।।
शिव अवतार श्री खेतरपाल नामा। ग्राम रावतसर पावन धामा।।
लाल ध्वजा तेरे द्वारे साजे। तेल सिंदूर चरणो मे विराजे ।।
काले घोड़े की हैं सवारी। भक्त जनो का है हितकारी।।
खेतरपाल का नाम जो ध्यावे। भूत प्रेत निकट ना आवे।।
सते मईया का भाई कहलावे। उनकी संग मे पूजा करावे।।
जय अवतारी निरंजन देवा। सुर नर मुनि जन करे सब सेवा।।
द्वारे तेरे जो भी आवे । बिन मांगे वह सब कुछ पावें।।
शरण मे तेरी हम सब आये। तेरी जय जय कार बुलाये।।
तुम्हरा नाम लिए दुख भागे। सोई सुमती सम्पदा जागे।।
भीड़ पड़़ी संतो पे जब जब। सहाय भये तुम बाबा तब तब।।
सच्चे मन से जो कोई ध्यावे । मन इच्छा फल तुम से पावे।।
खेतरपाल जिन नाम ध्याया। अक्षय परम धाम तिन पाया।।
जब जब भगतो ने लिया सहारा। बाबा जी तुमने दिया सहारा।।
बाबा जी में नूर समाया। सब भक्तो ने दर्शन पाया।।
रावतसर धाम की लीला न्यारी। दूर दूर तक महके फुलवारी।।
धाम तेरे की बात निराली। सब भक्तो पर छाये लाली।
चौदस को जो तेल सिंदूर चढ़ावे। उनके सकल कष्ट मिट जावे।।
रावतसर धाम मे अखण्ड जोत जगे है। दुष्ट जनो के पाप भगे है।।
सारे जग मे महिमा तुम्हारी। दीन दुखियो के हो हितकारी।।
खेतरपाल तुम हो बलवाना। दुष्टो के तुम काल समाना।।
बाबा जी तुम अन्तरयामी। शरणागत के तुम हो स्वामी।।
दीन दुखी जो शरण मे आते । उनके सारे दुख मिटाते ।।
भक्तो पर तुम कृपा करते । सिर पर हाथ दया का धरते।।
अब खेतरपाल अरज सुन मेरी। करो कृपा नही लाओ देरी।।
सब अपराध क्षमा कर दीजो। दीन जनो पर कृपा कीजो।।
प्रातःसमय जो तुम्हे ध्यावे। वो नर मन वांछित फल पावे।।
खेतरपाल की करे जो सेवा। तुम्हरे समान कोई और ना देवा।।
खेतरपाल चालीसा जो गावे। जन्म जन्म के पाप नसावे।।
जो सत बार पाठ कर जोई। बाबा जी की कृपा होई।।
’भगत’ तेरे चरणन् का दासा। पूरी करो मेरी सारी आसा।।
।। जय बाबा दी।।
संकलन – जगत जोशी