श्री ब्राह्मणी माता मंदिर-भरमौर
भरमौर हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में एक तहसील है। यह धर्मशाला, चंबा, कीलोंग, डलहौजी, मैकलोडगंज (मैकलोडगंज), पालमपुर, खजियार जैसे महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों के निकट हैं। ब्राह्मणी या भरमनी देवी भरमौर की संरक्षक देवी हैं। समुद्रतल से 9 हजार फीट की ऊंचाई पर मां भरमाणी माता का पवित्र धाम है। तहसील मुख्यालय भरमौर से मां भरमाणी का मंदिर चार किलोमीटर की ऊंचाई पर जंगल के बीच रमणीक स्थल पर स्थित है। यहां से बुडाल घाटी का सुंदर दृश्य दिखाई देता हैं। स्थानीय लोगों का मान्यता हैं कि भरमौर को 6वी सदी में ब्राह्मणी देवी के नाम से ब्रह्मपुरा कहा जाता था।
मणिमहेश यात्रा:
मणिमहेश यात्रा पर आने वाले श्रद्धालु सर्वप्रथम माता भरमाणी के दर्शन करने पहुंचते हैं। मान्यता के अनुसार पवित्र भरमाणी माता के दरबार में हाजिरी न भरने वाले श्रद्धालु की यात्रा संपूर्ण नहीं मानी जाती। यात्रीगण भरमाणी माता मंदिर में माता के दर्शन करने के उपरांत पवित्र कुंड में स्नान करने के बाद ही मणिमहेश की आगामी यात्रा को आरंभ करते हैं।
चौरासी परिसर:
किंवदंती है कि भरमौर के आदिवासी क्षेत्र को पहले ब्रह्मपुर कहा जाता था। माता भरमाणि का वास और मंदिर ‘चौरासी परिसर’ में ही था और पुरुषों को रात में रुकने की मनाही थी। उस दौरान चौरासी सिद्धों का एक दल पवित्र मणिमहेश यात्रा पर जा रहा था। यात्रा पर आगे बढ़ने से पूर्व धीरे-धीरे अंधेरा छाने लगा। ऐसे में चौरासी सिद्धों ने चौरासी परिसर में समतल स्थल होने की स्थिति में सिद्धों ने रात में यही रुकने का फैसला लिया। जैसे ही चौरासी सिद्धों ने चौरासी परिसर में रात के समय में प्रवेश किया तो इससे माता भरमणि क्रोधित हो गईं।
माता भरमाणी उन चौरासी सिद्धों को श्राप देने लगी। तो चौरासी सिद्धों के मुखिया जोकि स्वयं भगवान शंकर थे आगे बढ़े। भगवान शंकर को देख माता भरमाणी का क्रोध शांत हो गया। माता भरमाणी ने भगवान शंकर से क्षमा मांगी। साथ ही चौरासी परिसर में रात के समय पुरुषों के आगमन निषेध होने की बात कही भगवान शंकर ने माता भरमाणी को वरदान दिया कि मणिमहेश यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की यात्रा तभी पूर्ण होगी जब जब वह माता भरमाणी के दर्शन कर पवित्र कुंड में स्नान करेंगे। तब माता भरमणि वहां से विलुप्त होकर 4 कि.मी. दूर डूगा सार नामक जगह पर प्रकट हुईं। 84 सिद्धों ने लिंगों का रूप धारण किया और अनंत काल के लिए भरमौर में बस गए।
देवी ब्राह्मणी द्वारा पानी की चोरी:
भरमाणी माता के दर्शन और ब्राह्मणी के पवित्र कुंड में स्नान करने के बाद ही शिवभक्त अपनी आगे की यात्रा को आरंभ करते हैं। ब्राह्मणी की गुफा से यह कुंड़ नीचे हैं। यह कुंड लगभग 4 * 4 मीटर का हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, देवी ब्राह्मणी ने भगवान संधोल नाग से यह पवित्र पानी चुराया था, जो कि पहाड़ी का दूसरा हिस्सा हैं। गुफा के नीचे से सात जल धाराएँ आ रही हैं जो वर्तमान गुफा के नीचे से सात जल धाराएँ आ रही हैं जो वर्तमान में भरमौर में जल आपूर्ति की सुविधा प्रदान करती हैं । यह पहाड़ी स्थान प्राकृतिक प्राकृतिक सुंदरता के साथ पहाड़ी है और सुंदर भरमौर का शानदार दृश्य देता है। यह पहाड़ी स्थान प्राकृतिक प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है और भरमौर की सुंदरता में चार चाँद लगा देता है।
मंदिर परिसर में कमरे हैं जहाँ भक्त आराम कर सकते हैं और खाना पकाने के लिए चुल्हें हैं। नवंबर के महीने से सर्दियों की शुरुआत होने से और बर्फमारी के कारण मंदिर बंद रहता हैं। पुजारी सभी आगंतुकों को प्रसाद प्रदान करते हैं। वहां लंगर सेवा चलती हैं, स्थानीय लोग प्यार से स्वादिष्ट भोजन परोसते हैं।
पता:
श्री भरमाणी माता मंदिर,
भरमौर,
जिला:चंबा, हिमाचल प्रदेश-1763151
- कैसे पहुंचा जाये:
- वायु मार्ग :
चंबा का निकटतम हवाई अड्डा धर्मशाला के पास गग्गल (कांगड़ा) में है जो भरमौर से 190 कि.मी दूर है। गग्गल अड्डे से दिल्ली और चंडीगढ़ को जोड़ने वाली कई उड़ानें हैं और अंतर्राष्ट्रीय और घरेलू यात्री वहां से फ्लाइट पकड़ सकते हैं।
- रेल मार्ग:
निकटतम ब्रॉड गेज रेलवे टर्मिनल, जो चंबा से लगभग 120 किलोमीटर और भरमौर से 164 किमी दूर है।
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- पठानकोट कैंट रेलवे स्टेशन (PTKC)
- पठानकोट रेलवे स्टेशन (PTK)
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- सड़क मार्ग:
भरमौर हिमाचल प्रदेश के मुख्य शहरों जैसे चंबा, डलहौजी, धर्मशाला आदि के साथ सड़कों से जुड़ा हुआ है। यह चंबा शहर से 60 किलोमीटर और समुद्र तल से 2195 मीटर की ऊंचाई पर धर्मशाला से लगभग 200 किमी दूरी पर हैं।
चंबा से भरमौर– एनएच 154 A : 2 घंटे 21 मिनट (59.5 कि.मी.)
- बस द्वारा:
भरमौर चंबा से 64 किमी दूर है। टैक्सी और बसें पठानकोट से चंबा तक और चंबा से भरमौर तक उपलब्ध हैं।
- भरमौर हेलीपैड:
भरमनी माता मंदिर भरमौर हेलीपैड से कम से कम 200 फीट की दूरी पर स्थित है। कुछ अन्य तरीकों के माध्यम से आप मंदिर तक पहुँच सकते हैं।
- विकल्प 1:
- 2.5 किमी की पगडंडी को ट्रैक करें, जो कि हेलीपैड से शुरू होता है, सेब के बगीचे और गद्दी गांव से गुजरता है, और पहाड़ी तक पहुंचता है।
- विकल्प 2:
- एक टैक्सी लें और 6 किमी ऊबड़ और बेहद संकरी सड़क से होते हुए, पहाड़ों के रास्ते से गुजरें।
गद्दी गांवों के मध्य से ट्रेक मार्ग के साथ-साथ चलें और पृष्ठभूमि में पीर पंजाल की बर्फ की चोटियों के साथ सेब के बगीचे के रम्य द्दश्य देखते हुये सफर तय करें।
संदर्भ:
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- अमर उजाला ब्यूरो
- Deccan cronical
- Toshiba Anand.
- kaka anirban
- भरमाणी माता मंदिर के पंडित:दिला राम, चौकस राम, रवि शर्मा
- devbhumi.in/bharmani-mata-temple-bharmour-chamba
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अनुरोध:
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Video Link:
https://www.youtube.com/watch?v=JyVaRRbP_r0
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